Bhagavad Gita Part 88: विशुद्ध बुद्धि युक्त कर्मयोगी के क्या लक्षण है? वो अपने कर्म के बारे में क्या विचार करत
भगवद्गीता के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि, व्यक्ति को सीधे ही कर्म का त्याग नहीं करना चाहिए। उसे धीरे -2 अभ्यास के द्वारा सांसारिक मोह, क्रोध और अपनी कामनाओं को नष्ट करना चाहिए। विस्तार भगवद्गीता के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि, व्यक्ति को सीधे ही कर्म का त्याग नहीं करना चाहिए। उसे धीरे -2 अभ्यास के द्वारा सांसारिक मोह, क्रोध और अपनी कामनाओं को नष्ट करना चाहिए। योगयुक्तो विशुद्धात्मा विजितात्मा...
0 Comments 0 Shares 830 Views 0 Reviews