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इंद्रियों पर नियंत्रणआप ही बताएं कैसे करूं नियंत्रण अपनी इंद्रियों पर। सुबह-सुबह घर के बग़ीचे में योगा कर रही थी, योगा टीचर बड़ी कोशिश से मुझे साँसों पर नियंत्रण करना सीखा रही थी। मैं भी पुरज़ोर कोशिश कर रही थी, साँसों का तालमेल बैठाने की। योगा टीचर बार-बार नाक से साँस लेने को और मुँह से छोड़ने को बोलती। विडम्बना देखो, जैसे ही मैंने नाक से साँस खींची, पड़ोस से आने वाली पराठों की सुगंध मेरी नाक में अटक कर रह गयी। अब...0 Commentarios 0 Acciones 181 Views 0 Vista previaPlease log in to like, share and comment!
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बारिशकई दिनों से बारिश का इंतज़ार कर रही थी। आज सुबह से बादलों की आँख-मिचौली चल रही है, और आख़िर बादल बरस ही पड़े। मुझे हमेशा इंतजार रहता है अपनी मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू का, लहलहाते खेतों के दृश्य का, पानी से नहाये हरे-भरे वृक्षों का, और मुस्कुराते फूलों का।कितनी आनंदमयी अनुभूति है बारिश की।छम-छम करती मोती जैसी चमकती बूँदे जब धरती में समाती हैं, तो गीली मिट्टी की महक से तन-मन महक जाता है।...0 Commentarios 0 Acciones 477 Views 0 Vista previa
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हाय रे समोसा!हाय रे समोसा! ऊँची गर्दन, तमतमाता शरीर, निकला हुआ पेट, अकड़ तो देखो भाई! सच में देखने लायक़ हैं।समोसे का नाम ज़बान पर आते ही उसकी ख़ुशबू , उसका स्वाद बस मुँह में पानी आ जाता हैं।ऊपर से उसका तीखा स्वभाव तो पूछो ही मत भाई! अपनी तरफ़ आकर्षित करने के सभी गुण है उसके पास।इसलिए जब वो बना-ठना हमारे सामने आता है तो सब कुछ छोड़कर आपका हाथ उसकी तरफ़ बढ़ जाता है और उसकी तीखी, कड़क बाइट आपके मुँह में होती...0 Commentarios 0 Acciones 622 Views 0 Vista previa
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ग्रहणी की अलमारीपता है आपको हम ग्रहणियाँ कितनी समझदारी से घर चलाती है? बस कमजोर पड़ जाती हैं तो अपनी अलमारी को देखकर। कहीं भी जाना हो, कपड़े होते ही नहीं! क्या पहनूँ, कैसे अलग दिखूँ, कितनी परेशानियाँ है भाई! जब भी अलमारी खोलूँ, कुछ कपड़े तो बड़ी हसरत भरी नज़रो से मुझें देखते हैं और सोचते होंगे कि हम तो पड़े-पड़े ही छोटे हो गये। और कुछ बेचारे तो वक़्त के मारे समय से पीछे रह गये, बाकी बचे-खुचे कई बार पहने जा...0 Commentarios 0 Acciones 855 Views 0 Vista previa
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