Surpanakha Nose: लक्ष्मण जी ने शूर्पणखा की नाक क्यों काटी? जानिए क्या थी वजह
शूर्पणखा, रावण की बहन, रामायण की कथा में एक प्रमुख पात्र है, और उसकी नाक काटे जाने की घटना रामायण के महत्वपूर्ण प्रसंगों में से एक है। यह घटना सीता हरण और राम-रावण युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार करती है। आइए जानते हैं कि लक्ष्मण जी ने शूर्पणखा की नाक क्यों काटी, और इसके पीछे की पूरी वजह क्या थी।
शूर्पणखा की राम से मुलाकात
शूर्पणखा एक राक्षसी थी, जो अपनी इच्छा से रूप बदलने की क्षमता रखती थी। वह राम, लक्ष्मण और सीता के वनवास के दौरान पंचवटी के जंगल में उनके पास आई। जब उसने राम को देखा, तो वह उनके रूप और सौंदर्य पर मोहित हो गई और उनसे विवाह का प्रस्ताव किया। राम ने विनम्रता से उसे मना कर दिया और यह कहते हुए लक्ष्मण की ओर इशारा किया कि वह उनके छोटे भाई हैं और अविवाहित हैं।
लक्ष्मण से विवाह का प्रस्ताव
राम द्वारा मना किए जाने के बाद, शूर्पणखा ने लक्ष्मण से विवाह का प्रस्ताव रखा। लक्ष्मण ने भी इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और शूर्पणखा के साथ हास्य में संवाद किया। लक्ष्मण ने उसे यह कहते हुए मना किया कि वह राम के सेवक हैं, और यदि वह राम से विवाह करेगी तो सीता उसकी दासी बन जाएगी। लक्ष्मण का यह कथन शूर्पणखा का अपमान जैसा था।
शूर्पणखा का क्रोध और सीता पर हमला
अपमानित महसूस करने के बाद, शूर्पणखा क्रोधित हो गई और अपने असली राक्षसी रूप में आकर सीता पर हमला करने लगी। वह सीता को नुकसान पहुँचाना चाहती थी क्योंकि उसे लगा कि राम और लक्ष्मण ने उसका मजाक उड़ाया है और सीता उसकी राह में बाधा हैं।
लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा की नाक काटना
जब शूर्पणखा ने सीता पर हमला करने की कोशिश की, तो लक्ष्मण ने त्वरित प्रतिक्रिया दी। उन्होंने शूर्पणखा को रोकने के लिए अपनी तलवार से उसकी नाक और कान काट दिए, ताकि वह किसी को नुकसान न पहुँचा सके। यह लक्ष्मण की ओर से आत्मरक्षा का एक कदम था और सीता की सुरक्षा के लिए उठाया गया निर्णय था।
इस घटना का महत्व
शूर्पणखा की नाक काटने की घटना ने रामायण की कथा में एक निर्णायक मोड़ ला दिया। अपनी नाक कटने के बाद, शूर्पणखा रावण के पास गई और उसका अपमान हुआ बताकर बदला लेने के लिए उसे उकसाया। इसके परिणामस्वरूप रावण ने सीता का हरण किया, जिससे राम-रावण युद्ध की शुरुआत हुई।
निष्कर्ष: लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक उसकी क्रूरता और सीता पर किए गए हमले के जवाब में काटी थी। यह घटना रामायण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि इसके बाद ही रावण ने सीता का अपहरण किया और राम-रावण के बीच महायुद्ध का आरंभ हुआ।
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