Akshat Ka Mahatv : हिंदू धर्म में पूजा- पाठ का बहुत अधिक महत्व है आपने  हर पूजा में देखा होगा कि पूजा में सबसे ज्यादा चावल जिसे अक्षत भी कहा जाता है

पूजा में चावल

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Akshat Ka Mahatv : हिंदू धर्म में पूजा- पाठ का बहुत अधिक महत्व है आपने  हर पूजा में देखा होगा कि पूजा में सबसे ज्यादा चावल जिसे अक्षत भी कहा जाता है उसका इस्तेमाल किया जाता है आपको बता दें कि हिंदू धर्म में जब भी हम पूजा करते हैं तो भगवान का आह्वान करने और उनकी पूजा करने के लिए अक्षत का प्रयोग किया जाता है। चलिए जानते हैं भगवान की पूजा में चावल का उपयोग क्यों किया जाता है? 

पूजा में चावल का उपयोग क्यों किया जाता है?

चावल सफेद रंग का होता है. सफेद रंग को सरस्वती और पार्वती  का माना जाता है। चावल भी धान और भोजन है इसलिए इसे लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है। जहां तीनों देवियां विद्यमान होती हैं, वहां प्रकृति स्वयं निवास करती है।

चावल का रंग आकाश तत्व (अवचेतन मन), ग्रहों में चंद्रमा और शुक्र ग्रह का रंग माना जाता है। पूजा में हम देवताओं का आह्वान करते हैं और उन्हें नमस्कार करते हैं ताकि हमारी मनोकामनाएं पूरी हों। पांच तत्वों की ऊर्जा का आह्वान, जिसके लिए हम भौतिक सामग्रियों का उपयोग करते हैं जो तत्वों और ग्रहीय ऊर्जा का प्रतीक हैं। जैसे जल-अक्षत, चीनी (शुक्र), रोली कुमकुम (मंगल), शहद (सूर्य), घी, लौंग (केतु), इलायची (बुद्ध), पान, सुपारी, नारियल (राहु) आदि का उपयोग किया जाता है।

चावल को देवी लक्ष्मी, शुक्र ग्रह और चंद्रमा से संबंधित माना जाता है जो पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक है।

हम तिलक लगाते समय चावल का प्रयोग इसलिए करते हैं ताकि व्यक्ति के आभामंडल में समृद्धि (धन) बढ़े, वैभव बढ़े और इसके कारण वह दर्शनीय हो जाए। यही तिलक हम भगवान को भी लगाते हैं और स्वयं को भी।



सोम का उल्लेख ऋग्वेद और सामवेद में भी मिलता है। इन्हें पढ़ने पर सोम अर्थात मन और जल प्रतीत होता है। सोम का अर्थ है चंद्रमा जो सफेद रंग का है और पानी और चावल का प्रतीक है, जो आपके अवचेतन मन का कारक है।

सामवेद-पवमान पर्व के पांचवें अध्याय के चौथे दशती में 9वां श्लोक है जिसमें कहा गया है, 'हे सोम! चिंतनशील लोग आपको ध्यान और धारणा के माध्यम से खोजते हैं, आप उन्हें उनकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए ज्ञान देते हैं और अपनी प्रतिभा से सर्वोत्तम प्रेरणा और शक्ति देते हैं।' यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि मन यानी चंद्रमा ध्यान का कारक है और उस पर ध्यान केंद्रित करने से इच्छा पूरी होती है। ऐसा होता है और ज्ञान प्राप्त होता है। अगर आपके मन में कार खरीदने की इच्छा है और उस इच्छा को मन में रखकर आप कुछ समय तक पैसा कमाने की दिशा में ध्यान केंद्रित करेंगे तो आप कार खरीद पाएंगे।

इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि पूजा में हमेशा अक्षत ही चढ़ाया जाता है। अक्षत का अर्थ है जो टूटा हुआ न हो। यानी पूजा में चढ़ाए जाने वाले चावल हमेशा साबुत होने चाहिए। अगर आप पूजा के लिए बाजार से लाए गए चावल का उपयोग कर रहे हैं तो इसे पूजा में उपयोग करने से पहले एक बार जरूर जांच लें।
 

किस देवता को कभी चावल नहीं चढ़ाया जाता?

चावल को श्री का यानी मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। लेकिन फिर भी भगवान विष्णु की पूजा में कभी भी चावल नहीं चढ़ाए जाते. वहीं शालिग्राम की पूजा करते समय भी अक्षत का प्रयोग नहीं किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की पूजा में चावल का प्रयोग करने से व्यक्ति पर दोष लगता है। पंडितों के अनुसार अगर आप भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा कर रहे हैं तो सफेद चावल पर कुमकुम लगाकर पूजा कर सकते हैं। वहीं हनुमान जी को कभी भी चावल नहीं चढ़ाए जाते हैं. भोलेनाथ की पूजा में अक्षत का प्रयोग किया जा सकता है. लेकिन याद रखें भगवान शिव की पूजा करते समय कभी भी हल्दी या कुमकुल वाले चावल का इस्तेमाल न करें। भगवान शिव की पूजा में कभी भी रंगीन चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।


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