Shiva Purana: शिव पुराण के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि, एक ब्राह्मण पत्नी ने माता पार्वती की विदाई के समय उनको पतिव्रता पत्नी के भेद समझाए। इसके बाद माता पार्वती की विदाई का समय आया।

शिव पुराण

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Shiva Purana: शिव पुराण के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि, एक ब्राह्मण पत्नी ने माता पार्वती की विदाई के समय उनको पतिव्रता पत्नी के भेद समझाए। इसके बाद माता पार्वती की विदाई का समय आया। पार्वती ने भक्ति- सुखद भाव से माता-पिता तथा गुरु को प्रणाम किया। वे महामाया होकर भी लोकाचार वश बार-बार रो उठती थीं। पार्वती के रोने से ही सब स्त्रियाँ रोने लगती थीं। भाई और पिता भी प्रेम और सौहार्दवश रोये बिना न रह सके। उस समय ब्राह्मणों ने मिलकर सबको आदरपूर्वक समझाया और यह सूचित किया कि यात्रा के लिये यही सबसे उत्तम तथा सुखद लग्न है। तब हिमालय और मेना ने विवेकपूर्वक धैर्य धारण करके शिवा के बैठने के लिये पालकी मंगवाई।

ब्राह्मणों की पत्नियों ने शिवा को उस पर चढ़ाया और सबने मिलकर आशीर्वाद दिया। पिता-माता और ब्राह्मणों ने भी अपनी शुभकामना प्रकट की मेना और हिमालय ने पार्वती को ऐसे-ऐसे सामान दिये, जो महारानी के योग्य थे। नाना प्रकार के द्रव्यों की शुभ राशि भेंट की, जो दूसरों के लिये परम दुर्लभ थी। पुत्रों सहित बुद्धिमान् हिमाचल भी स्नेह के वशीभूत हो पीछे-पीछे गये और उस स्थान पर पहुँचे, जहाँ देवताओं सहित भगवान् शिव प्रसन्नतापूर्वक प्रतीक्षा कर रहे थे। वहाँ सब लोग बड़े प्रेम और आनन्द से परस्पर मिले। उन सबने भगवान् को प्रणाम किया और उनकी प्रशंसा करते हुए वे पुरी को लौट गये।

तदनन्तर कैलास पहुँचकर भगवान् शिव ने पार्वती से कहा-तुम सदा से ही मेरी प्राणप्रिया हो। तुम्हें लीला-पूर्वक इस बात की याद दिला रहा हूँ। तुम्हें पूर्वजन्म की बातों का स्मरण है। प्रिया पार्वती मुसकराती हुई बोलीं- मुझे सब बातों का स्मरण है, किंतु इस समय आप चुप रहिये और इस अवसर के अनुरूप जो कार्य हो, उसी को शीघ्र पूर्ण कीजिये। प्रिया पार्वती के सैकड़ों सुधा-धाराओं के समान मधुर वचन को सुनकर लोकाचार परायण भगवान् विश्वनाथ बड़े प्रसन्न हुए। बहुत-सी सामग्रियाँ एकत्र करके नारायण आदि देवताओं को भाँति-भाँति की मनोहर भोज्य वस्तुएँ खिलायीं इसी तरह अपने विवाह में पधारे हुए दूसरे लोगों को भी भगवान् शंकर ने प्रेमपूर्वक सुमधुर रस से युक्त नाना प्रकार का अन्न भोजन कराया।

समस्त शिव गणों को इस विवाह से बड़ा सुख मिला। जो पुरुष भगवान् शिव और शिवा में मन लगाकर पवित्र हो प्रतिदिन इस प्रसंग को सुनता अथवा नियमपूर्वक दूसरों को सुनाता है, वह शिवलोक प्राप्त कर लेता है। यह अद्भुत आख्यान कहा गया, जो मंगल का आवास स्थान है। यह सम्पूर्ण विघ्नों को शान्त करके समस्त रोगों का नाश करने वाला है। इसके द्वारा स्वर्ग, यश, आयु तथा पुत्र और पौत्रों की प्राप्ति होती है। यह सम्पूर्ण कामनाओं को पूर्ण करता, इस लोक में भोग देता और परलोक में मोक्ष प्रदान करता है।

इस शुभ प्रसंग को सुनने से अपमृत्यु का शमन होता है और परम शान्ति की प्राप्ति होती है। यह समस्त दुःस्वप्नों का नाशक तथा बुद्धि एवं विवेक आदि का साधक है। अपने शुभ की इच्छा रखने वाले लोगों को शिव-सम्बन्धी सभी उत्सवों में प्रसन्नता के साथ प्रयत्नपूर्वक इसका पाठ करना चाहिये। यह भगवान् शिव को संतोष प्रदान करने वाला है। विशेषतः देवता आदि की प्रतिष्ठा के समय तथा शिव सम्बन्धी सभी कार्यों के प्रसंग में प्रसन्नतापूर्वक इसका पाठ

करना चाहिये अथवा पवित्र हो शिव- पार्वती के इस कल्याणकारी चरित्र का श्रवण करनाचाहिये। ऐसा करने से समस्त कार्य सिद्ध होते हैं। यह सत्य है, सत्य है। इसमें संशय नहीं है।