Valmiki Ramayana Part 87: रानी कैकेयी ने मंथरा को आभूषण क्यों दिये?लेकिन मंथरा ने क्यों निकाल फ़ेंक दिया?

0
927

वाल्मीकि रामायण के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि जैसे ही मंथरा को ये पता चला कि श्री राम को राजा बनाया जाएगा तो उसे बहुत पीड़ा हुई। उसने अपनी रानी कैकेयी को भड़काना शुरू किया।

वाल्मीकि रामायण

विस्तार

वाल्मीकि रामायण के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि जैसे ही मंथरा को ये पता चला कि श्री राम को राजा बनाया जाएगा तो उसे बहुत पीड़ा हुई। उसने अपनी रानी कैकेयी को भड़काना शुरू किया। वो आगे बोली, यदि तुम पर कोई दुःख आया तो उससे मुझे भी बड़े भारी दुःख में पड़ना होगा। तुम्हारी उन्नति में ही मेरी भी उन्नति है, इसमें संशय नहीं है। तुम राजाओं के कुल में उत्पन्न हुई हो और एक महाराज की महारानी हो, फिर भी राजधर्मो की उग्रता को कैसे नहीं समझ रही हो?

तुम्हारे पति तुम्हें व्यर्थ सान्त्वना देने के लिये यहाँ उपस्थित होते हैं, वे ही अब रानी कौसल्या को अर्थ से सम्पन्न करने जा रहे हैं। उनका हृदय इतना दूषित है कि भरत को तो उन्होंने तुम्हारे मायके भेज दिया और कल सबेरे ही अवध के निष्कण्टक राज्यपर वे श्रीराम का अभिषेक करेंगे।

जैसे माता हित की कामना से पुत्र का पोषण करती है, उसी प्रकार ‘पति’ कहलाने वाले जिस व्यक्ति का तुमने पोषण किया है, वह वास्तव में शत्रुनिकला जैसे कोई अज्ञानवश सर्प को अपनी गोद में लेकर उसका लालन करे, उसी प्रकार तुमने उन सर्पवत् बर्ताव करने वाले महाराज को अपने अङ्क में स्थान दिया है। उपेक्षित शत्रु अथवा सर्प जैसा बर्ताव कर सकता है, राजा दशरथ ने आज पुत्र सहित तुझ कैकेयी के प्रति वैसा ही बर्ताव किया है। तुम सदा सुख भोगने के योग्य हो, परंतु मन में पाप (दुर्भावना) रखकर ऊपर से झूठी सान्त्वना देने वाले महाराज ने अपने राज्य पर श्रीराम को स्थापित करने का विचार करके आज सगे-सम्बन्धियों सहित तुमको मानो मौत के मुखमें डाल दिया है।

यह विस्मय छोड़ो और जिसे करने का समय आ गया है, अपने उस हितकर कार्य को शीघ्र करो तथा ऐसा करके अपनी, अपने पुत्र की और मेरी भी रक्षा करो। मन्थरा की यह बात सुनकर सुन्दर मुखवाली कैकेयी सहसा शय्या से उठ बैठी। उसका हृदय हर्ष से भर गया। वह शरत्पूर्णिमा के चन्द्रमण्डल की भाँति उद्दीप्त हो उठी। कैकेयी मन-ही-मन अत्यन्त संतुष्ट हुई। विस्मय विमुग्ध हो मुसकराते हुए उसने कुब्जा को पुरस्कार के रूप में एक बहुत सुन्दर दिव्य आभूषण प्रदान किया।

कुब्जा को वह आभूषण देकर हर्ष से भरी हुई रमणी शिरोमणि कैकेयी ने पुनः मन्थरा से इस प्रकार कहा, ’मन्थरे! यह तूने मुझे बड़ा ही प्रिय समाचार सुनाया। तूने मेरे लिये जो यह प्रिय संवाद सुनाया, इसके लिये मैं तेरा और कौन-सा उपकार करूँ?

Поиск
Спонсоры
Категории
Больше
News
Supreme hoodie is more than just a piece
Supreme has transformed from a The Supreme hoodie is more than just a piece of clothing; it is a...
От CommeDes Garcons 2024-05-21 15:42:42 0 768
Sports
Play and Predict on Wolf365 Club - Your Ultimate Gaming Hub
At Wolf365 Club ID, you can enjoy both online gaming and predicting sports outcomes. Whether...
От Wolf365 Club 2024-10-12 11:30:01 0 375
Другое
How do I check in for my flight with Alaska Airlines?
While you have booked with Alaska Airlines, you must be aware of its check-in process to avoid...
От Myfares Hub 2023-06-02 07:37:29 0 2Кб
Другое
How does ISO 20000-1 certification impact customer satisfaction in the Netherlands? / Uncategorized / By Factocert Mysore
  The Effect of ISO 20000-1 Certification in Netherlands Accre­ditation ISO 20000-1...
От Isocertificationin Netherlands 2024-04-25 09:31:07 0 775
Gardening
Tree Removal Explained: Methods, Environmental Effects, and Modern Advances
Tree removal, while often seen as a last resort, is a necessary practice in many scenarios for...
От Brian Tremel 2024-05-10 13:04:43 0 1Кб