Maa Kalratri: मां काली के दिव्य मंत्रों से दूर करें नकारात्मक ऊर्जा Maa Kalratri: शनिवार के दिन मां काली की पूजा करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि देवी काली की पूजा से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त सच्चे मन से मां काली की पूजा करते हैं

Maa Kalratri:  शनिवार के दिन मां काली की पूजा करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि देवी काली की पूजा से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त सच्चे मन से मां काली की पूजा करते हैं, उनके जीवन में किसी भी तरह की नकारात्मक शक्तियां नहीं रुक सकतीं। साथ ही गुप्त शत्रुओं का नाश होता है।
अगर आप मां काली को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनकी विशेष पूजा करें। इसके साथ ही उनके मंत्रों का जाप करें, जो यहां दिए गए हैं-


माँ काली के दिव्य मंत्र


1- ॐ कालरात्रियै नमः।
2- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै
3 - एकवेनि जपकरणपुरा नग्न खरास्तिता, लम्बोष्टि कर्णिकाकर्णि तैलभ्यक्तशरीरिणी।
वम्पादोल्लसलोहलताकण्टकभूषण, वर्धनमूर्धाध्वज कृष्ण कालरात्रिभयंकरि।
4- जय त्वं देवि चामुण्डे, जय भूतार्ति हरिणी।
जय सर्वगते देवी कालरात्रि नमोस्तुते।
5- ॐ ऐं सर्वप्रशमनं त्रैलोक्यस्य अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यसम्द वैरिविनाशं नमो से ॐ।
6- या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपं संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
7- एकवेनि जपकर्णपुरा नग्न खरास्तिता।
लम्बोष्ठि कर्णिकाकर्णी तैल आश्रित शरीरा।
वामपादोल्लसलो लताकंटकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वज कृष्ण कालरात्रिभयंकरि।
8- क्लीं ऐं नमः श्री कालिकायै नमः।
9-ज्वाला कराल अति उग्रम शेष सुर सुदनाम।
त्रिशूलं पातु नो भीते भद्रकाली नमोस्तुते।
10- ॐ देवी कालरात्रियै नमः।
11- 'ॐ फट् शास्त्रौं साघाय घटय ॐ।'
 
माता काली की आरती


''अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गाये भारती, हे मैया, हम सब उतारते तेरी आरती
तेरे भक्त जनो पार माता भीर पड़ी है भारी
दानव दल पार टूट पड़ो, मां करके सिंह साँवरी
सौ सौ सिंहों से बालसामी, है अष्ट भुजाओ वली,
दुशटन को तू ही ललकारती
हे मैया, हम सब उतारते हैं तेरी आरती
माँ बेटी का है ये जग-जग हाय निर्मल नाता
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता
सब पे करुणा दर्शन वाली, अमृत बरसने वाली,
दु:खं के दु:खदे निवर्तति
हे मैया, हम सब उतारते हैं तेरी आरती
नहि माँगते धन और दौलत न चाँदी न सोना
हम तो मांगे तेरे मन में एक छोटा सा कोना
सब की बिगड़ी बाने वाली, लाज बचाने वाली,
सातियो के सात संवरती
हे मैया, हम सब उतारते हैं तेरी आरती
चरण शरण में खड़े तुम्हारी ले पूजा की थाली
वरद हस स सर प राख दो म सकत हरन वली
माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के करेज तू ही सरती
हे मैया, हम सब उतारते हैं तेरी आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारेंगे तेरी आरती।''