Masik Durga Ashtami February 2024: माघ माह की मासिक दुर्गाष्टमी कब? जानिए महत्व तिथि और पूजन विधि

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मासिक दुर्गाष्टमी प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।  हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मासिक दुर्गाष्टमी प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है। अष्टमी तिथि के दिन मां दुर्गा की पूजा करने से लंबी उम्र की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि हर महीने की अष्टमी तिथि को पूजा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की हर संकट से रक्षा करती हैं. नवरात्रि के अलावा हर महीने की दुर्गाष्टमी विशेष होती है। दुर्गाष्टमी के दिन व्रत रखा जाता है और विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि जो भी इस दिन पूरी श्रद्धा से मां दुर्गा की पूजा करता है, मां दुर्गा उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. साथ ही इस दिन पूजा करने से जीवन में चल रही किसी भी तरह की समस्या का समाधान हो जाता है। आइए जानते हैं मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व, तिथि और पूजा विधि के बारे में।

मासिक दुर्गा अष्टमी की तिथि
अष्टमी तिथि के दिन मां दुर्गा की पूजा करने से लंबी उम्र की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि हर महीने की अष्टमी तिथि को पूजा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं।। फरवरी के महीने में माघ मासिक दुर्गा अष्टमी 17 फरवरी 2024 दिन शनिवार को मनाई जाएगी।

दुर्गाष्टमी का महत्व

इस दिन देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है। इस दिन अगर विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा की जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है। भक्त दैवीय आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन व्रत भी रखते हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से मां जगदंबा की कृपा प्राप्त होती है। दुर्गा अष्टमी का व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि

मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और जिस स्थान पर आपको पूजा करनी है उस स्थान पर गंगा जल डालें और उसे शुद्ध करें। पूजा के दौरान मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें। घर के मंदिर में भी दीपक जलाएं। मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल फूल चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में फल और मिठाइयाँ भी चढ़ाएँ। धूप-दीप जलाएं और दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।